Pakistan-Afghanistan Clash: अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच चल रहे सीमा संघर्ष के बीच चीन ने कूटनीतिक रूप से हस्तक्षेप करते हुए दोनों देशों से संयम बरतने और बातचीत के जरिए मतभेद सुलझाने की अपील की है. 8 अक्टूबर से शुरू हुई इस झड़प के बाद अब दोनों पक्षों ने 48 घंटे के अस्थायी युद्धविराम पर सहमति जताई है.
चीन बोला – बातचीत से सुलझाएं मतभेद
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान का यह कदम “साझा हितों और क्षेत्रीय शांति के लिए अनुकूल” है. उन्होंने कहा कि बीजिंग इस पहल का समर्थन करता है और उम्मीद करता है कि दोनों पड़ोसी देश संयम बनाए रखेंगे तथा विवादों को शांतिपूर्ण संवाद के जरिए हल करेंगे.
लिन ने यह भी कहा कि चीन और रूस जैसे देशों के बीच ऊर्जा व व्यापार सहयोग पूरी तरह वैध है, जबकि अमेरिका की नीतियां “एकतरफा और दबाव वाली” होती हैं. चीन ने यह संकेत भी दिया कि वह दोनों देशों के बीच स्थिरता बहाल करने में रचनात्मक भूमिका निभाने के लिए तैयार है.
बलूचिस्तान सीमा पर शुरू हुआ था संघर्ष
पाकिस्तान और अफगान तालिबान के बीच 8 अक्टूबर को हिंसक झड़पें शुरू हुई थीं. पाकिस्तानी सेना ने दावा किया कि उसने बलूचिस्तान सीमा पर अफगान तालिबान के हमलों को नाकाम किया. वहीं, कंधार के स्पिन बोल्डक क्षेत्र में हुए पाकिस्तानी हवाई हमलों में कई नागरिकों के हताहत होने की खबर आई.
इस तनाव के बाद दोनों देशों ने सीमा पर टैंकों की तैनाती कर दी थी. हालात बिगड़ने के बाद बुधवार शाम को 48 घंटे के संघर्षविराम का ऐलान किया गया.
बुधवार शाम से लागू हुआ सीजफायर
पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के मुताबिक, “तालिबान के अनुरोध पर दोनों पक्षों की आपसी सहमति से बुधवार शाम छह बजे से 48 घंटे का युद्धविराम लागू किया गया है.”
वहीं, अफगानिस्तान सरकार के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा कि “पाकिस्तानी पक्ष के अनुरोध पर बुधवार शाम 5:30 बजे से संघर्षविराम प्रभावी हुआ.”
चीन की भूमिका पर सबकी नजर
विश्लेषकों का मानना है कि इस पूरे घटनाक्रम में चीन ने मध्यस्थता का संकेत देकर दक्षिण एशिया की राजनीति में अपनी सक्रिय भूमिका को एक बार फिर मजबूत किया है. बीजिंग का यह रुख भारत के लिए भी अहम है, क्योंकि चीन दोनों देशों — पाकिस्तान और अफगानिस्तान — का करीबी सहयोगी माना जाता है.



















