Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई (CJI BR Gavai) पर जूता फेंकने वाले वकील राकेश किशोर पर अब आपराधिक अवमानना का मुकदमा चलाया जाएगा. इस मामले में अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने मुकदमा चलाने की सहमति दे दी है. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि इस मामले की सुनवाई दीवाली की छुट्टियों के बाद की जाएगी.
कोर्ट में हुई अहम सुनवाई
गुरुवार, 16 अक्टूबर को यह मामला जस्टिस सूर्य कांत की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने पेश हुआ. बेंच में जस्टिस जोयमाल्या बागची भी शामिल थे.
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के अध्यक्ष वरिष्ठ वकील विकास सिंह और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि अटॉर्नी जनरल ने कार्यवाही की अनुमति दे दी है.
इस पर बेंच ने सवाल किया कि,
“क्या इस मुद्दे को और आगे बढ़ाने की ज़रूरत है? चीफ जस्टिस ने खुद उदारता दिखाते हुए कोई कार्रवाई न करने की बात कही थी, जिससे यह स्पष्ट है कि सुप्रीम कोर्ट के सम्मान पर इस घटना से कोई असर नहीं पड़ा।”
लेकिन इस पर विकास सिंह और तुषार मेहता ने तर्क दिया कि,
“इस घटना को जिस तरह सोशल मीडिया पर दिखाया जा रहा है, वह न्यायपालिका के सम्मान को ठेस पहुंचाता है.”
“राकेश किशोर को अपने कृत्य पर गर्व है”
विकास सिंह ने अदालत में कहा कि,
“उस व्यक्ति ने कोई पछतावा नहीं दिखाया. इसके उलट वह लगातार अपने कृत्य पर गर्व जताते हुए बयान दे रहा है. इन बातों की उपेक्षा नहीं की जा सकती.”
बेंच ने कहा कि यदि इस मामले को दोबारा उठाया गया, तो यह सोशल मीडिया पर एक नई चर्चा को जन्म दे सकता है. इसके बावजूद, न्यायपालिका की गरिमा को ध्यान में रखते हुए मुकदमा चलाने पर सहमति जताई गई है.
क्या है पूरा मामला?
यह घटना 6 अक्टूबर 2025 की सुबह करीब 11:35 बजे हुई थी. वकील राकेश किशोर ने सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट नंबर 1 में सुनवाई के दौरान अपना जूता निकालकर CJI गवई की ओर फेंक दिया था.
सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत उन्हें हिरासत में ले लिया था. हालांकि, कोर्ट रजिस्ट्री की ओर से औपचारिक शिकायत न होने के कारण दिल्ली पुलिस ने बाद में उन्हें छोड़ दिया.
इसके बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने सख्त रुख अपनाते हुए राकेश किशोर की वकालत पर रोक लगा दी, वहीं सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने भी उनकी सदस्यता रद्द कर दी है.